Bikaner News राजस्थान 1st न्यूज,बीकानेर। परिचित देखकर सहयोग करने और फिर न्यायालय की शरण में जाने के मामले में अब न्यायालय ने फैसला सुनाते हुए दोषी को सजा का आदेश दिया है। इस सम्बंध में अनाथलय के पीछे रहने वाले परिवादी विनोद पुत्र शंकरलाल ने मुक्ताप्रसाद क्षेत्र में रहने वाले रमेश कुमार के खिलाफ परिवाद दिया। परिवादी ने बताया कि आरोपी उसकी जान पहचान का था।
जिसके चलते उसकी जरूरत पर एक लाख रूपए उधार दिसंबर 2017 में दिए। आरोपी ने इस दौरान कहा कि दो माह में वापिस पैसे लौटा देंगा लेकिन वापस नहीं दिए। जब परिवादी ने पैसे मांगे तो आरोपी ने भारतीय स्टेट बैंक के अपने खाते का चैक दे दिया और कहा कि आप बैंक में चैक लगाकर पैसे ले लेना। जिसके बाद परिवादी ने बैंक में चैक लगाया तो पैसे नहीं होने का हवाला देते हुए बैंक ने वापस लौटा दिया।
जिसके बाद परिवादी ने आरोपी को इस बात की जानकारी दी तो आरोपी ने उसे कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया। जिसके बाद परिवादी ने परेशान होकर न्यायालय गया,न्यायालय ने अक्टूबर 2018 में आरोपी को तलब किया। अक्टूबर 2022 में अभियुक्त न्यायालय में पेश हुआ। जहां पर न्यायालय ने आरोप-सारांश मोखिक सुनाया तो आरोपी ने सोच-समझकर अस्वीकार कर दिया और अन्वीक्षा चाही।
परिवादी के साक्ष्य देने के बाद वर्ष 2024 के मई में आरोपी ने परिवादी के साक्ष्यों का झुठा बताया और सफाई पेश करनी चाही। जिसके बाद न्यायालय ने अगस्त 2024 में आरोपी के साक्ष्य सफाई के अवसर को बंद कर दिया।
जिसके बाद न्यायालय ने दोनो पक्षों की सुनवाई की। परिवादी की और से सभी साक्ष्य पेश किए। जिसके बाद विशिष्ट मजिस्ट्रेट (एनआई कोर्ट संख्या 3) के पीठासीन अधिकारी ललित कुमार ने चेक अनादरण के 6 साल पुराने प्रकरण का निस्तारण करते हुए आरोपी रमेश कुमार बत्रा को 4 माह के कारावास एवं 1 लाख 65 हजार रुपए अर्थदंड से दंडित करने का आदेश दिया है। परिवादी विनोद की ओर से अधिवक्ता भंवर लाल बिश्नोई पैरवी।