राज परिवार के विवाद के मामले में न्यायालय ने दिया ये आदेश-Bikaner News

Bikaner News बुआ राज्यश्री और भतीजी सिद्धि कुमारी के बीच है विवाद
राजस्थान 1st न्यूज,बीकानेर। बीकानेर के पूर्व राजपरिवार के विवाद में स्थगन आदेश दिया है। न्यायालय ने राज्य श्री कुमारी और विधायक सिद्धि कुमारी के बीच चल रहे विवाद को लेकर यह निर्णय दिया है। जिसमें न्यायालय ने राज्य श्री कुमारी को बड़ी राहत दी है। न्यायालय ने वसीयत पर रोक लगा दी है।

 

इसको लेकर विधायक सिद्धि कुमारी ने एक वाद अपनी बुआ राज्यश्री कुमारी सहित अन्य के खिलाफ दायर किया था। जिसमें बताया गया था कि महाराजा डॉ करणीसिंहजी एवं राजमाता सुशीला कुमारी की वसीयत में वर्णित सम्पतियों का नियंत्रण राज्यश्री कुमारी के कब्जे व नियन्त्रण में है।

 

ऐसे में महाराजा करणीसिंह जी की वसीयत के विरूद्ध आचरण के चलते उन्हें
एडमिनिस्ट्रेटर नियुक्त किया जाकर राज्यश्री कुमारी से उक्त सम्पतियों, हिसाब किताब का नियन्त्रण व कब्जा दिलाया जाए। जिसके बाद राज्यश्री कुमारी द्वारा अस्थायी निषेधाज्ञा प्रर्थना पत्र इस आधार पर पेश किया कि मूल वाद में सिद्धि कुमारी द्वारा माना गया है कि समस्त सम्पतियों एवं हिसाब किताब का नियन्त्रण एवं कब्जा बहैसियत एडमिनिस्ट्रेटर प्रतिवादी राज्यश्री कुमारी के पास हैं तथा सिद्धि कुमारी अवैध रूप से उक्त सम्पतियों को खुर्द-बुर्द करने का प्रयास कर रही हैं एवं एडमिनिस्ट्रेटर राज्यश्री कुमारी को एडमिनिस्ट्रेशन करने में बाधा उप्तन करके सम्पतियों को खुर्द-बुर्द करने की धमकिया दे रही हैं।

 

प्रार्थना पत्र पर सुनवाई के पश्चात न्यायालय एडीजे 3, बीकानेर द्वारा राज्यश्री कुमारी के एडमिनिस्ट्रेटर होने तथा सम्पतियों पर कब्जा एवं हिसाब किताब का नियन्त्रण होने के तथ्य को सही मानते हुए राज्यश्री के प्रार्थना पत्र को स्वीकार करते हुए महाराजा डॉ करणीसिंहजी की वसीयत में वर्णित तमात चल-अचल सम्पतियों की बाबत रहन, बय, मुन्तकिल, हस्तान्तरित करने से रोकने बाबत उभय पक्षकारान के विरुद्ध अस्थाई निषेधाज्ञा आदेश जारी किया।

 

न्यायालय ने कहा है कि राज्यश्री कुमारी की ओर से प्रस्तुत प्रार्थना पत्र अस्थाई निषेधाज्ञा अन्तर्गत आदेश 39 नियम 1 व 2 एवं धारा 151 सी.पी.सी. स्वीकार कर उभय पक्षों को ताफैसला मूलवाद इस आशय की अस्थाई निषेधाज्ञा से वर्जित किया जाता हैं कि वे वादपत्र में वर्णित महाराजा करणीसिंह जी की वसीयत दिनांक 26.06.1986 में वर्णित तमाम जायदाद चल-अचल संपतियों को मूलवाद के लंबनकाल के दौरान खुर्द-बुर्द, रहन, विकय हस्तांतरण नही करेंगे।

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