Bikaner News राजस्थान 1st न्यूज,बीकानेर। पहले की यूआईटी और अब बना बीडीए इन दिनों चर्चाओं में है। पहले चकगर्बी मेें तोडफ़ोड़ करने को लेकर और फिर फर्जी तरीके से कागजात को लेकर लगातार बीडीए के अधिकारी सवालों के घेरे में है कि आखिर जिम्मेवार अधिकारी इतने लापरवाह कैसे हो सकते हैं।
ऐसी ही खबर फिर से सामने आयी है। बीकानेर विकास प्राधिकरण क्षेत्र में 90-ए की 102 और 90-बी की 228 कॉलोनियां मंजूर हैं। इनमें से सिर्फ 49 कॉलोनियां ही रियल एस्टेट विनियमन और विकास (रेरा) अधिनियम के तहत रजिस्टर्ड हैं। यही वजह है कि बीकानेर में आए दिन जमीनों के मामलों में फर्जी बेचान से लेकर रजिस्ट्री और पट्टों के मामले दर्ज होते हैं।
सस्ते के चक्कर में लोग भी ऐसी कॉलोनियों में जमीन खरीदते हैं और फिर मुश्किल में फंस जाते हैं। पिछले दिनों चकगर्बी में ऐसा ही हुआ, जहां बड़ी संख्या में कब्जे खाली कराए गए। दरअसल, राजस्थान भू-राजस्व अधिनियम 1956 की धारा 90-ए और 90-बी कृषि भूमि को गैर-कृषि उपयोग में बदलने से संबंधित हैं।
धारा 90-ए के तहत राज्य सरकार की अनुमति से कृषि भूमि को गैर-कृषि भूमि में बदलकर आवासीय, वाणिज्यिक या औद्योगिक उपयोग में लिया जा रहा है। हालांकि, अब धारा 90-बी को धारा 90-ए में शामिल कर दिया गया है। मगर 90-बी या ए कराते वक्त अधिकतर कॉलोनाजर यूआईटी या बीडीए की शर्तें पूरी नहीं करते। इन्हीं हालातों को देखते हुए 2016 में रियल एस्टेट विनियमन और विकास का गठन हुआ। सीमा भी तय हुई कि 500 वर्ग मीटर से अधिक या 8 से अधिक अपार्टमेंट वाले सभी आवासीय और वाणिज्यिक परियोजनाओं को रेरा के साथ पंजीकृत होना चाहिए। बीकानेर में 90-ए और 90-बी की 228 कॉलोनियां हैं। इनमें से 179 कॉलोनियां ऐसी हैं जो रेरा में रजिस्टर्ड नहीं है।
बीकानेर में सौ से अधिक ऐसी निजी कॉलोनियां हैं जो पूरी तरह बस चुकी, लेकिन वहां अब तक ना तो सड़क है, ना सीवरेज। पार्क जैसी सुविधा तो दूर की बात। लोगों ने सस्ते के चक्कर में भूखंड तो लेकर मकान बना लिए मगर अब दोष बीडीए और निगम को दे रहे हैं। ये सारी सुविधाएं देने का जिम्मा उसी फर्म का है, जिससे भूखंड लिया है। बीडीए की खामी ये है कि 90-ए की अनुमति देने के बाद भी ये क्रॉस चेक नहीं करते कि जो वादे कॉलोनी के लिए किए गए वो पूरे हुए या नहीं।