Bikaner News राजस्थान 1st न्यूज,बीकानेर। हाईकोर्ट ने जिला व सेशन न्यायाधीश रहे बी.डी.सारस्वत की बर्खास्तगी के आदेश को रद्द कर दिया है। यह आदेश उस समय आया है जब सारस्वत की मृत्यु को भी करीब 13 साल हो गए है। ऐसे में समय में पिता के न्याय के लिए बेटे ने पक्षकार बनकर न्याय की लड़ाई लड़ी। न्यायालय ने सारस्वत के पक्ष में निर्णय सुनाते हुए उनकी बर्खास्तगी की अवधि को रिटायरमेंट की आयु तक सर्विस में निरंतर मानते हुए, उन्हें रिटायरमेंट के सारे परिलाभ देने का आदेश पारित किया है। जस्टिस मुन्नूरी लक्ष्मण और जस्टिस विपिन गुप्ता की खण्डपीठ ने तीन नवंबर 2025 को सुनाए फैसले में कहा कि जांच रिपोर्ट गलत सबूतों पर आधारित थी। पीठ ने 15 साल पुरानी रिट याचिका पर फैसला दिया है।


बीकानेर मूल के बी.डी. सारस्वत प्रतापगढ़ में विशिष्ट न्यायाधीश एनडीपीएस एक्ट कोर्ट में पदस्थापन के दौरान साल 2004-05 में एक आरोपी की तीसरी जमानत याचिका स्वीकार करने पर उन पर अवैध उद्देश्यों से दी गई जमानत का आरोप लगा था। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता एम.एस.सिघवी द्वारा न्यायालय में याचिकाकर्ता सारस्वत की ओर से पैरवी करते हुए फुल कोर्ट एवं राज्यपाल के आदेश को गलत बताया, उच्च न्यायालय जोधपुर द्वारा याचिककर्ता के तर्क एवं जांच रिपोर्ट पर निर्णय करते हुए न्यायाधीश बी.डी. सारस्वत के पक्ष में निर्णय दिया।
गौरतलब है कि न्यायाधीश बी.डी.सारस्वत द्वारा उक्त याचिका सन 2010 में पेश की गई थी, दौराने याचिका उनकी मृत्यु 2012 में हो गई तथा उनकी पत्नी का भी देहांत 2022 में हो गया। उनकी मृत्यु के पश्चात उनके पुत्र अमित सारस्वत एडवोकेट द्वारा उक्त याचिका में पक्षकार बनकर कार्यवाही की गई। ऐसे में अब परिवार को यचिका के 15 औैर बी.डी.सारस्वत की मृत्यु के 13 साल बाद परिवार को न्याय मिला है ।






