जबरन धर्मांतरण कराने वालों पर होगा एक्शन,बुलडोजर,लाखों का जुर्माना और आजीवन कारावास,पढ़ें खबर-Rajasthan Vidhansabha

Rajasthan Vidhansabha धर्मातरण को लेकर बिल पारित
राजस्थान 1st न्यूज,नेटवर्क। प्रदेश की विधानसभा में कल मछली के अवैध शिकार को लेकर बिल पारित किया गया। जिसके बाद आज भारी हंगामे के बीच जबरन धर्मांतरण के खिलाफ बिल को पारित किया गया है। भारी हंगामे और विपक्ष की नारेबाजी के बीच पारित कर दिया गया। इस बिल के तहत जबरन, धोखे या लालच के जरिए धर्मांतरण कराने वालों के खिलाफ कठोर सजा के प्रावधान किए गए हैं, जिसमें आजीवन कारावास और भारी जुर्माने तक शामिल हैं।

 

इसके साथ ही, धर्मांतरण कराने वाली संस्थाओं के भवनों पर बुलडोजर चलाने का प्रावधान भी पहली बार किया गया है। बिल पास होने के बाद विधानसभा की कार्यवाही 10 सितंबर तक के लिए स्थगित कर दी गई।

जाने क्या-क्या होगा बिल में प्रावधान
जबरन, धोखे या लालच के जरिए धर्मांतरण कराने पर 7 से 14 साल की कैद और 5 लाख रुपये तक का जुर्माना।
नाबालिग, दिव्यांग, महिला, अनुसूचित जाति (स्ष्ट) या जनजाति (स्ञ्ज) के लोगों का धर्मांतरण कराने पर 10 से 20 साल की सजा और 10 लाख रुपये का जुर्माना।
सामूहिक धर्मांतरण के मामलों में 20 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा और न्यूनतम 25 लाख रुपये का जुर्माना।

 

विदेशी या अवैध संस्थानों से फंड लेकर धर्मांतरण कराने पर 10 से 20 साल की कैद और 20 लाख रुपये का जुर्माना।
बार-बार धर्मांतरण के अपराध में शामिल होने वालों को आजीवन कारावास और 50 लाख रुपये तक का जुर्माना।
यदि शादी का उद्देश्य केवल धर्मांतरण है, तो ऐसी शादी को कानूनी रूप से अवैध घोषित किया जाएगा।

 

धर्मांतरण कराने वाली संस्थाओं के भवनों को सीज करने और नियमों के उल्लंघन या अतिक्रमण के मामले में तोडऩे का प्रावधान। सामूहिक धर्मांतरण के लिए इस्तेमाल होने वाली संपत्ति को प्रशासन द्वारा जब्त किया जाएगा।

 

 

बिल के तहत धर्म परिवर्तन से 90 दिन पहले जिला कलेक्टर या अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट को सूचना देना अनिवार्य होगा। इसके अलावा, धर्मांतरण कराने वाले धर्माचार्य को भी दो महीने पहले नोटिस देना होगा। बिल के तहत सभी अपराधों को संज्ञेय और गैर-जमानती माना गया है, यानी पुलिस बिना वारंट के गिरफ्तारी कर सकती है और जमानत मिलना मुश्किल होगा।

 

वहीं, इस बिल में स्पष्ट किया गया है कि घर वापसी यानी किसी व्यक्ति का अपने मूल धर्म में लौटना, धर्मांतरण की श्रेणी में नहीं आएगा। यह प्रावधान उन लोगों को राहत देता है जो स्वेच्छा से अपने मूल धर्म में वापस लौटना चाहते हैं।

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