-नोखा के पांचू में बिजली की गंभीर समस्या
-दर्जनभर गावों के लोग परेशान
-विभाग नहंी कर रहा है कोई भी समाधान
राजस्थान 1st न्यूज,बीकानेर। एक तरफ सरकार ग्रामीण अंचल में बिजली आपूर्ति को लेकर बड़े-बड़े दावे कर रही है। वहीं बीकानेर जिले के पांचू पंचायत समिति के दर्जन भर गांव बीते करीब पांच सालों से बिजली की समस्या से परेशान है। करीब दो लाख की आबादी हर रोज इस बिजली की ट्रिपिंग सहित अनेक समस्याओं से परेशान है और मजबूरन धरना,प्रदर्शन करना पड़ रहा है।
पांचू पंचायत से जुड़े करीब एक दर्जन गांवों के लोग लगातार मांग कर रहे है कि बिजली की समस्या का स्थाई समाधान किया जावे लेकिन अधिकारी,नेता कोई समस्या के प्रति गंभीर नहीं दिखाई दे रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि करीब दो लाख की आबादी इस ट्रिंपिंग के कारण परेशान है। मंूगफली पकने का सीजन है। ऐसे में समय पर बिजली नहीं मिलेगी तो फसल बर्बाद हो जाएगी। बीते कई महीनों से ग्रामीण लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे है बावजूद इसके समस्या का समाधान अब तक नहीं हो पाया हे।
बिजली आती नहीं ओर आती है तो कम वोल्टेज से समस्या
ग्रामीणों ने बताया कि करीब एक दर्जन गांव इस समस्या से परेशान है। गांवों में लाइट आती नहीं है और आती है तेा स्थिति यह रहती है कि बल्ब भी ठीक ढग़ से जल नहीं पाता है। ऐसे में कभी भी विद्युत उपकरणों के जलने का भी खतरा बना रहता है। शनिवार को कम वोल्टेज की समस्या को लेकर बंधला,भादला के लोगों ने जीएसएस पर प्रदर्शन किया और धरना देने की चेतावनी दी है।
घरेलू उपभोक्ता को किया जावे कृषि फीडर से अलग
ग्रामीणों का कहना है कि भादला ग्राम पंचायत में 33 केवी जीएसएस से कृषि फीडर के साथ करीब 1000 हजार घरेलू उपभोक्ता भी है। जिसके लाइन करीब तीस किलोमीटर लम्बी है। जिसमें तर्डो की बस्ती,भादला रोही,नाथुसर,धोकलनगर,तेलियासर,कक्कू,साधुना सहित अनेक क्षेत्र है। जिनके घरेलू उपभोक्ता भी है। जिन्हें कृषि फीडर के साथ जोडऩे से 6 घंटे ही लाइट मिल पाती है और लाइट चले जाने जाने पर आने की कोई गारंटी नहीं है। कई मर्तबा तो कई कई दिनों तक अंधेरे में जीवन यापन करना पड़ता है। ऐसे में अगर कृषि फीडर से घरेलू उपभोक्ता को अलग कर दूसरी लाइन से कनेक्शन दिया जावे तो कम सेकम घरेलू उपभोक्ता को तो राहत मिलेगी।
पांच सालों से आश्वासन पुरा होने का इंतजार
भादला के ग्रामीणों ने बताया कि वर्ष 2017-2018 में घरेलू उपभोक्ताओं को फीडर से अलग करने के लिए धरना लगाया गया था। इस दौरासन तत्कालीन अभियंता मनमोहन सिंह ने आश्वासन दिया था कि जल्द ही इस समस्या का समाधान कर दिया जाएगा लेकिन करीब पांच वर्षो के इंतजार के बाद भी आज दिनांक तक समस्या का समाधान नहीं हुआ है। वहीं 2020 में भी संरपच की अध्यक्षता में बैठक उच्च अधिकारियों को अवगत करवाया गया था लेकिन आश्वासन के अलावा ग्रामीणों को कुछ भी नहंी मिला है।
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