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हिंदी और राजस्थानी भाषाओं की तीन पुस्तकों का हुआ लोकार्पण





राजस्थान 1st न्यूज,बीकानेर। आज रमेश इंग्लिश स्कूल में हिंदी और राजस्थानी दोनो भाषाओं की तीन पुस्तकों का लोकार्पण हुआ। मुख्य लोकार्पण समारोह डॉ. अर्जुनदेव चारण, साहित्यकार मधु आचार्य और डॉ. गजेसिंह राजपुरोहित ने किया। स्वागत उद्बोधन सूर्यप्रकाशन मंदिर के प्रकाशक डॉ. प्रशान्त बिस्सा ने किया। बिस्सा ने कहा कि आप ने दोनों लेखकों के साहित्य के विषय में जानकारी देते हुए प्रकाशन से पूर्व की महत्वपूर्ण बातों को सबके समक्ष रखा।

पहले चरण में साहित्यकार नगेंद्र किराड़ू की हिंदी में लिखी पुस्तक मधु आचार्य आशावादी के सृजन का व्याकरणिक अनुशीलन का और फिर साहित्यकार सीमा पारीक की दो पुस्तकें कविता संग्रै साची कैऊ थाने और बाल उपन्यास काळजे री कोर राजस्थानी बाल साहित्य का लोकार्पण हुआ।
साहित्यकार नगेन्द्र किराडू ने अपनी पुस्तक के विषय में कहा की मैंने जब मधु आचार्य के साहित्य को पढ़ा और पाया की आप के साहित्य में व्याकरण का समीक्षात्मक मूल्यायन करूँ। एक शोधार्थी की भांति और फिर मैंने उनके लेखन के व्याकरण पर केंद्रित होते हुए ये पुस्तक लिख दी। जो अब आप के अनुशीलन के लिए उपलब्ध है।

साहित्यकार सीमा पारीक ने भी बताया की मेरा साहित्य सृजन कोरोना काल में आरम्भ हुआ और मैंने बच्चों से प्रभावित होकर बाल साहित्य वो भी राजस्थानी में लिखना आरम्भ किया और उसका प्रमाण मेरी ये दो कृतियां आप के समक्ष है। मंच से दोनों लेखकों का भी सम्मान सोल साफा और प्रतिक चिन्ह भेंट करते हुए किया गया।
दोनों लेखकों की पुस्तकों पर दो पत्र वाचन भी हुए। जिसमे अशोक कुमार व्यास ने साहित्यकार नगेंद्र किराड़ू की पुस्तक पर अपना परचा पढ़ा आप ने मधुजी के सरल साहित्य के विषय पर किये गए साहित्यकार नगेंद्र किराडू के साहित्य शोध कार्य पर एक शानदार पर जटिल शब्दों की हिंदी से पत्र रचा और पढ़ा।

साहित्यकार सीमा पारीक की पुस्तकों पर पत्र वाचन किया। सविता जोशी ने आप ने पुरे पत्रवाचन को सार गर्भित विषय वस्तु जो की बाल साहित्य और राजस्थानी बाल साहित्य के लिए उपयोगी है और उसका समावेश साहित्यकार सीमा पारीक की पुस्तकों में उल्लेखित होने की बात को अपने पत्र से कही ।

फिर मंच के विशिष्ठ अतिथि डॉ. गजेसिंह ने अपने उद्बोधन में साहित्यकार नगेंद्र किराडू जी की पुस्तक के विषय में अपनी बात आरम्भ करते हुए कहा की जब ये पाण्डुलिपि मेरे पास आयी तो मैंने सोचा किसी व्याकरण के विषय से सम्बंधित पुस्तक है, पर जब गहन अध्ययन किया तो पाया की ये हिंदी व्याकरण की नहीं बल्कि साहित्य में व्याकरण के रचनात्मक प्रयोग पर शोध जैसा कोई लेखन कार्य है। जिसे साहित्यकार नगेन्द्र किराडू ने साहित्यकार मधु आचार्य आशावादी के समग्र साहित्य सृजन को केंद्र में लेते हुए किया है। उन्होंने इस पुस्तक और इसमें उल्लेखित शोध विषय को राजस्थान में पहला साहित्य शोध कहा है।

साहित्यकार मधुआचार्य आशावादी ने दोनों लेखकों को बधाई देते हुए उनकी प्रशंसा भी की। मधु आचार्य ने नगेन्द्र किराडू के लिए कहा की मेरे साहित्य को कोई इस प्रकार से भी ले सकता है। ये मेरे लिए आश्चर्य की बात है और शायद जो इस पुस्तक में उल्लेखित हुआ है या नगेन्द्र ने किया है वो सब मैंने ध्यान में लिया ही नहीं मेरा सृजन कर्म करते हुए।

साहित्यकार सीमा पारीक के साहित्य पर मधु आचार्य ने सुझाव दिया की कविता को अगर और गहराई से ठीक से समझना और सीखना है तो डॉ. अर्जुनदेव चारण की कविता पर लिखी पुस्तक का अध्ययन जरूर करो।
आपने सीमा के बाल उपन्यास की सरहाना करते हुए कहा की राजस्थानी में बाल साहित्य पर काम करने वाले बहुत काम लोग है और आप ने ये बेडा उठाया है इसके लिए आप को बधाई

अध्यक्षीय उद्बोधन दिया डॉ. अर्जुनदेव चारण ने आप ने साहित्यकार नगेन्द्र किराडू के साहित्य चिंतन और समीक्षात्मक दृष्टि रखने की विशेषता की सराहना करते हुए कहा की साहित्य का अनुशीलन अति आवश्यक है और जब व्याकरण की दृष्टि से अनुशीलन किया जाए तो लेखक के कार्य के कई और पहलु भी समीक्षक पाठक के समक्ष प्रस्तुत कर सकता है और इस कार्य में साहित्यकार नगेन्द्र किराडू सफल हुए है। उन्हें बधाई देते हुए अपनी बात कही। सीमा पारीक के बाल साहित्य और राजस्थानी लेखन के विषय में कहा की कविता संवेदना का प्रतिबिम्ब होती है जिसे पाठक सम्प्रेषित कर पाए तो वो कविता अन्यथा वो सिर्फ कविता का भास या मात्र कविता का अभ्यास भर है। रमेश इंग्लिश स्कूल के प्रबंधक डॉ. सेनुका हर्ष ने आभार ज्ञापित किया।

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