राजस्थान 1st न्यूज,बीकानेर। दीपावली के पर्व पर परम्परा के नाम जुए का खेल जारी है। जुआ खेलने वाले भी हर रोज खेलने वाले जुआरी नहीं है बल्कि परम्परा के नाम पर खेलने वाले जुआरी है। जुआरी भी इतने शातिर है कि एक आंख पैसों और खेल पर तो दूसरी आंख पुलिस की और रहती है। जुआ खेलते समय अगर गलती से भी पुलिस आ जाए तो जुआरी सैकड़ों रफ्फू चक्कर हो जाते है। शहर के अलग-अलग स्थानों पर बैंक,फर्री,माताजी और पासों पर खेल जारी है। खिलाड़ी अलसुबह से देर रात तक खेल है क्या की आवाज देते हुए ही दिखाई देते हैं। दीपावली से करीब एक सप्ताह पहले ही यह जुआ शुरू हो जाता है पुरी ईमानदारी के साथ जुआ खेला और खिलाया जाता है। बाकयदा इसके लिए एक कैशियर भी पैसों का लेनदेन करताा है।
पुलिस को जानकारी लेकिन नहीं होती कार्रवाई
ऐसा नहीं है कि पुलिस को इस जुए की जानकारी नहंी है। हर थाना क्षेत्र में चलने वाला जुए की पुलिस को पुरी जानकारी है। जब तक पुलिस की गाड़ी मौके पर पहुंचती है तो जुआ बंद हो जाता है। गली मौहल्लों तक में चलने वाले जुए की जानकारी के बाद भी सीजनल जुआरी पुलिस के हत्थे नहंी चढ़ पाते हैं।
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