राजस्थान फर्स्ट न्यूज़,बीकानेर। पति पत्नी बताकर न्यायालय में याचिका करने के मामले में न्यायालय ने परिवाद को ख़ारिज कर दिया है। इस संबंध में पारिवारिक न्यायलय संख्या 2, बीकानेर के पीठासीन अधिकारी बरकत अली (जिला न्यायधीश संवर्ग) ने निर्णय सुनाते हुए रामकिशन राजपुरोहित पुत्र रामप्रकाश राजपुरोहित निवासी गली नं. 19, रामपुरा बस्ती लालगढ़, बीकानेर द्वारा प्रस्तुत याचिका को नासाबित करार देते हुए याचिका को खारिज किया है।
बता दे कि प रामकिशन ने सारिका पुत्री नन्दकिशोर थानवी निवासी लालीबाई बगेची के आगे नत्थूसर गेट, बीकानेर जो प्रार्थी के साथ महज बी.एड. हेतु टैक्सी में जाती थी जिससे रामकिशन द्वारा धोखे में रखकर दस्तावेज प्राप्त कर लिये तथा उन्हे उपयोग कर झूठा विवाह प्रमाण-पत्र व वैवाहिक अनुबंध तैयार करवा लिया लेकिन दौराने परीक्षण न्यायालय के समक्ष उन्हें साबित करने में असफल रहा।
रामकिशन न्यायालय के समक्ष यह साबित नहीं कर पाया कि सारीका थानवी ने उसके समक्ष पारम्परिक रीति रिवाज के अनुसार हिन्दू रीति रिवाज के ताबे कोई विवाह कारित किया हो अथवा बतौर पति-पत्नी कभी साथ रहे हो। सारिका थानवी ने उक्त प्रकरण को अपने विरूद्ध ना साबित करने हेतु न्यायमित्र के रूप में अधिवक्ता गोपाललाल हर्ष एवं निमिषा शर्मा को नियुक्त करवाया जिस पर न्यायालय में सम्पूर्ण ट्रायल अख्तियार करने के उपरान्त प्रार्थी रामकिशन की धारा 9 हिन्दू विवाह अधिनियम की याचिका के आवश्यक तत्वों के अभाव में साबित नहीं माना।
न्यायमित्र गोपाल लाल हर्ष ने यह स्पष्ट किया कि प्रार्थी रामकिशन न्यायलय के समक्ष तथाकथित विवाह को अनुष्ठापित जिसमें रीति-रिवाज व कर्मकाण्ड़ो के अनुसार साबित करने में असफल रहा। पारिवारिक न्यायालय सं. 2 द्वारा अपने समक्ष गहनता व सूक्ष्मता से पत्रावली में परीक्षण करवाया तथा सम्पूर्ण परीक्षण के उपरान्त न्यायलय द्वारा प्रार्थी रामकिशन व अप्रार्थीया सारिका थानवी को पति-पत्नी के रूप में साथ रहना साबित नही माना ना ही विवाह प्रमाण-पत्र व विवाह ऐग्रीमेन्ट को साबित माना तथा न्यायलय द्वारा अपने निर्णय में रामकिशन की सारिका के विरूद्व प्रस्तुत याचिका को अस्वीकार कर खारिज किया।