HTML tutorial

सादुल स्पोर्ट्स के लिए अब होगा आर-पार,भूख हड़ताल पर बैठेंगे पूर्व कप्तान





राजस्थान 1st न्यूज,बीकानेर। राजस्थान के इकलौते आवासीय खेल विद्यालय सादुल स्पोर्ट्स स्कूल की व्यवस्थाओं में जारी अव्यवस्था और शिक्षा विभाग की लापरवाही के खिलाफ पूर्व और वर्तमान खिलाडिय़ों ने मोर्चा खोल दिया है। क्रीड़ा भारती बीकानेर के अध्यक्ष गजेंद्र सिंह राठौड़ ने बताया की 18 नवंबर से सादुल स्पोर्ट्स स्कूल पर अनिश्चित कालीन धरना व भूख हड़ताल शुरू होने जा रही है। क्रीड़ा भारती के दो उपाध्यक्ष दानवीर सिंह भाटी व भैरूरतन सारस्वत ओझा भूख हड़ताल पर बैठेंगे। यह कदम शिक्षा विभाग की आंखें खोलने और खिलाडिय़ों के अधिकारों की रक्षा के लिए उठाया गया है।
राजस्थान बास्केटबॉल टीम के पूर्व कप्तान और क्रीड़ा भारती के उपाध्यक्ष दानवीर सिंह भाटी ने बताया कि अब लड़ाई आर पार की होगी। हमारी लड़ाई शिक्षा विभाग की उदासीनता के खिलाफ पिछले 5 साल से लगातार जारी है, इसमें बीकानेर के जनप्रतिनिधि, वरिष्ठ प्रबुद्ध नागरिक व समाजसेवी व आमजन व खिलाडि़ शामिल होंगे।

17 साल की उपेक्षा खिलाडिय़ों का दर्द
सादुल स्पोर्ट्स स्कूल, जो राजस्थान के खेल प्रतिभाओं का केंद्र माना जाता है, आज अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है। 17 सालों से खिलाडिय़ों की डाइट मनी में एक रुपये की भी बढ़ोतरी नहीं हुई है—महज 100 की डाइट मनी में क्या एक खिलाड़ी की जरूरतें पूरी हो सकती हैं यह शिक्षा विभाग की उदासीनता का सबसे बड़ा सबूत है।

जरूरी मांगें, जो अनदेखी हो रही हैं
क्रीड़ा भारती द्वारा 15 नवंबर तक सुधार की मांग रखते हुए शिक्षा विभाग को स्पष्ट चेतावनी दी गई थी। मांगें न माने जाने पर आंदोलन का ऐलान किया गया था।
बच्चों की डाइट मनी 100 रुपये से बढ़ाकर 300 रुपये प्रति खिलाडि़ करना प्रशिक्षक और सहायक प्रशिक्षकों के खाली पदों पर एनआईसी डिप्लोमाधारी प्रशिक्षको की नियुक्ति करना ।
वर्षों से बंद पड़ी डिस्पेंसरी और स्विमिंग पूल को शुरू करना।
खाना बनाने के लिए 5 स्थाई कुक की नियुक्ति।
खेल उपकरणों के बजट को 2 लाख से बढ़ाकर ?10 लाख करना।
खेल मैदानों और हॉस्टलों की बुनियादी सुविधाओं का सुधार (कूलर, गीजर आदि)।

शिक्षा विभाग की लापरवाही और खिलाडिय़ों का संघर्ष:
शिक्षा विभाग की यह उपेक्षा न केवल खिलाडिय़ों के भविष्य को अंधकारमय बना रही है, बल्कि सरकार की खेल प्रतिभाओं के प्रति गंभीरता पर भी सवाल खड़े करती है। क्या ये वही राजस्थान है, जो खेल को बढ़ावा देने की बात करता है?
18 नवंबर को, दानवीर सिंह भाटी एवं अध्यक्ष गजेंद्र सिंह की अगुवाई में यह भूख हड़ताल केवल एक आंदोलन नहीं, बल्कि खिलाडिय़ों के हक की लड़ाई है। भाटी ने साफ कहा, “जब एक खिलाड़ी को सरकार ही न्याय नहीं दे सकती, तो उसका भविष्य कौन संवारेगा? यह पहली बार होगा जब राजस्थान में कोई खिलाड़ी अपनी मांगों को लेकर भूख हड़ताल करेगा।
यह संघर्ष राजस्थान के हर उस खिलाड़ी का है, जो सरकार की उपेक्षा का शिकार है। अब देखना होगा कि शिक्षा विभाग इन मांगों पर गंभीरता दिखाता है या एक बड़े जन आंदोलन के लिए तैयार रहता है।

error: Content is protected !!