Bikaner News राजस्थान 1st न्यूज,बीकानेर। साहस की कोई आयु नहीं होती और सत्य व धर्म की रक्षा के लिए प्राणों का उत्सर्ग ही सबसे बड़ा धर्म है। इसी उदात्त भावना के साथ रायसर मार्ग स्थित आदर्श विद्या मन्दिर उच्च माध्यमिक नोखा में बलिदान सप्ताह के अंतर्गत वीर बाल दिवस श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया गया। कार्यक्रम के माध्यम से विद्यार्थियों को सिखों के दसवें गुरु, श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के चार साहिबज़ादों के उस अद्वितीय शौर्य से परिचित कराया गया, जिसने भारतीय इतिहास को स्वर्णिम आभा प्रदान की।


कार्यक्रम के दौरान वक्ताओं ने साहिबज़ादों के बलिदान की ऐतिहासिक प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि किस प्रकार मुग़ल शासक वज़ीर ख़ान के भीषण दमन और धर्म परिवर्तन के भारी दबाव के आगे भी छोटे साहिबज़ादों—बाबा जोरावर सिंह (9 वर्ष) और बाबा फतेह सिंह (7 वर्ष)—ने घुटने नहीं टेके। सत्य और अपनी आस्था के प्रति उनकी अडिग निष्ठा ही थी कि उन्होंने दीवार में जि़ंदा चिनवा दिया जाना स्वीकार किया, किंतु अधर्म के आगे शीश नहीं झुकाया।
वहीं, बड़े साहिबज़ादों—बाबा अजीत सिंह और बाबा जुझार सिंह—के चमकौर के युद्ध में दिखाए गए अद्भुत रण-कौशल और वीरगति को याद करते हुए उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
मुख्य वक्ता मुरलीराम शर्मा ने अपने ओजस्वी उद्बोधन में माता गुजरी जी के अद्वितीय त्याग और मातृत्व शक्ति का स्मरण किया। उन्होंने कहा कि ठंडे बुर्ज की अमानवीय यातनाओं के बीच भी माता गुजरी जी ने अपने पोतों को संस्कारित कर उन्हें धर्म पथ से विचलित नहीं होने दिया।
वक्ता ने वर्तमान वैश्विक परिदृश्य, विशेषकर बांग्लादेश की घटनाओं और दीपू जैसे उदाहरणों का उल्लेख करते हुए विद्यार्थियों को सचेत किया कि जब समाज अपने इतिहास और मूल्यों के प्रति सजग नहीं रहता, तब मानवीय स्वतंत्रता पर संकट गहरा जाता है। साहिबज़ादों का जीवन हमें अन्याय के विरुद्ध संवेदनशील और दृढ़ बने रहने की प्रेरणा देता है।
उत्सव जयंती प्रमुख राजेश स्वामी ने कहा कि विद्या भारती का ध्येय केवल किताबी ज्ञान देना नहीं, बल्कि विद्यार्थियों में राष्ट्रभक्ति और सांस्कृतिक चेतना का संचार करना है। वीर बाल दिवस जैसे आयोजन नई पीढ़ी को उनके गौरवशाली पूर्वजों से जोड़ते हैं।
पूरा विद्यालय परिसर ‘बोले सो निहाल’ और ‘वंदे मातरम्’ के उद्घोष से गुंजायमान रहा। कार्यक्रम के अंत में उपस्थित विद्यार्थियों और शिक्षकों ने साहिबज़ादों के आदर्शों को जीवन में उतारने तथा राष्ट्र व मानवता की रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहने का सामूहिक संकल्प लिया।



