राजस्थान 1st न्यूज़,बीकानेर।आज का युग स्क्रीन और टेक्नोलॉजी से इतना अधिक प्रभावित है कि इसके बिना जीवन असंभव सालगने लगता है। स्क्रीन टाइम एक बहुत ही बड़ा एडिक्शन है, जिससे उबरने के लिए लोगों को कई सख्त नियम और तरकीबें अपनानीपड़ रही हैं। बढ़ी हुई जागरूकता के कारण ये तो लगभग सभी जानते हैं कि स्क्रीन टाइम सेहत के लिए हर मायने में नुकसानदायक है।आंखों के साथ ये ब्रेन पर भी बुरा प्रभाव डालता है। यही कारण है कि डिजिटल डिमेंशिया जैसी बीमारियां सामने आ रही हैं. जो सेहतके साथ खिलवाड़ करती हैं।
क्यों होता है डिजिटल डिमेंशिया?
स्मार्टफोन के कारण हमारे ब्रेन कम सक्रिय होते हैं, ब्रेन में एक प्रकार का सेंसरी मिस मैच होता है जो तकनीक, फोन और एक हीपोश्चर में देर तक बैठे रहने के कारण होता है जिससे डिमेंशिया के लक्षण महसूस होने लगते हैं, जो कि डिजिटल डिमेंशिया कहलाताहै। दिनभर में 4 घंटे से ज्यादा फोन, लैपटॉप, टैबलेट, कंप्यूटर आदि चलाने के कारण डिजिटल डिमेंशिया होने का खतरा बढ़ जाताहै। बड़ों के साथ बच्चे भी इससे समान रूप से प्रभावित होते हैं।
डिजिटल डिमेंशिया से बचाव-
- रात में सोने से पहले और सुबह उठने के बाद कुछ देर तक का समय फिक्स रखें जिस दौरान आप फोन कतई नहीं छुएंगे।
- मेंटल मैथ प्रॉब्लम, सुडोकू या चेस जैसे ब्रेन गेम्स खेलें जिसमें ब्रेन का बखूबी इस्तेमाल हो।
- फोन पर टाइम लिमिट सेट रखें जिसके बाद आपका फोन ही आपको एक्सेस यूसेज का सिग्नल देने लगे। ऐसे कई एपआजकल मौजूद हैं।
- जरूरी फोन नंबर, ग्रोसरी लिस्ट और डेली जर्नल करने के बहाने रोज़ पेपर पेन का इस्तेमाल करें। हर काम के लिए फोन परनिर्भर होना बंद करें। संभव हो तो फोन नंबर याद भी करें जिससे इमरजेंसी की स्थिति में ये आपके काम भी आए।
- बिंज वाचिंग करने की जगह नींद पूरी करने पर ज़ोर दें। वीकेंड या छुट्टी वाले दिन मूवी प्लान करें। नींद गंवा कर स्क्रीन देखनाहर हाल में सेहत के साथ समझौता है।
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