Cyber Fraud राजस्थान 1st न्यूज,बीकानेर। डिजीटल के इस जमाने में तेजी से साइबर ठगी के मामलों में बढ़ोतरी हो रही है। सैकड़ों में आमजन के खातों से लाखों रूपए पार किए जा रहे हैं। जिसको लेकर हर कोई चिंतित है। ऐसे में अब थोड़ी सी सावधानी आपको ठगी से बचा सकती है। जिसको लेकर अब ट्राई ने कोड वर्ड जारी किए है। जिससे की ठगी से बचा जा सकेगा।
इन मैसेज से बचने के लिए टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया के कोड्स की पहचान जरूरी है। कई मैसेज के अंत में ‘जी, ‘टी, ‘पी या ‘एस जैसे कोड होते हैं, जो उनके प्रकार को दर्शाते हैं। लेकिन अगर मैसेज के अंत में कोई कोड नहीं है, तो यह स्कैमर्स का जाल हो सकता है।
ऐसे में सावधानी बरतें, मैसेज सोच-समझकर खोलें और संदिग्ध लिंक पर कभी न क्लिक करें। साइबर फ्रॉड से बचने के लिए टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन का इस्तेमाल करें और ठगी होने पर तुरंत 1930 पर कॉल करें। भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण ने फर्जी और अवांछित मैसेज से बचाव के लिए एक कोड सिस्टम लागू किया है, जिससे यूजर्स मैसेज के स्रोत की पहचान कर सकते हैं। यह सिस्टम टेलीकॉम कमर्शियल कम्युनिकेशन कस्टमर प्रेफरेंस रेगुलेशन, 2018 के तहत लागू किया गया है। प्रत्येक मैसेज के साथ एक कोड होता है, जो उसके प्रकार और स्रोत को दर्शाता है।
अगर आपके पास कोई मैसेज आता है और उस पर (जी) हो तो सरकारी विभाग या संस्था का मैसेज होगा। वहंी अगर (एस) हो तो सर्विस से जुड़ा मैसेज (जैसे बैंक या बिल पेमेंट),(टी) हो तो ट्रांजैक्शनल मैसेज (जैसे या पेमेंट कन्फर्मेशन),(पी) हो तो प्रमोशनल मैसेज (विज्ञापन या ऑफर) होगा। वहंी अगर मैसेज में किसी भी प्रकार का ऐसा कोड नहीं हो तो आपको सावधान रहना होगा। बिना कोड़ के नंबर ठगी के लिए उपयोग किए जा सकते हैं।