राजस्थान 1st न्यूज,बीकानेर। सावण हो या फिर भादवा बीकानेर अपने एक अलग की अंदाज में इसका आंनद उठाता आया है। ऑफिस से छुट्टी ना मिले तो परमानेंट छुट्टी तक भी ले लेते है युवा क्योंकि आनंद में कमी आनी नहीं चाहिए। जीं हां अपने खान-पान और मस्ती के लिए जाना-पहचाना जाने वाला शहर बीकानेर सावण और भादवे में पुरी तरीके से बदला सा नजर आता है। कभी महादेव बाबा के अभिषेक में तो कभी लाल ध्वजा के साथ जय बाबे री करते हुए।
पैदल ना चला जाए तो ऊंटगाड़ा तैयार है। फिर भी समय की कमी है तो सेवादार बनकर ही सहीं मेले जाना है मतलब जाना है। रामदेवरा जाने वाले अधिकांश संघों की रवानगी हो चुकी है। बीकानेर से अंतिम संघ गणेश चतुर्थी को भगवान गणेश की पूजा अर्चन कर रवाना होगा। इस संघ के बारे में कहा जाता है कि यह संघ भागते हुए यात्रा करता है। गणेश चतुर्थी के दिन पुनरासर जाने वाले यात्री रवाना होंगे। सात सितम्बर से दस सितम्बर तक शहर अब धोरों के बीच ही नजर आएगा। कोई गाड़ी में तो कोई गाड़े पर। ऐसा ही दृश्य होगा जयपुर बीकानेर रोड़ का।
7 सितम्बर को रवाना होने वाले यात्रियों ने धीरे-धीरे बैग पैकिंग ओर अपनी व्यवस्थाओं को ठीक करना शुरू कर दिया है। अब दस सितम्बर तक यात्री पुनरासर और बीकानेर के बीच ही मिलेंगे। 7 को रवाना होकर पैदल यात्री पब्लिक पार्क,म्यूजियम सर्किल,संागलपुरा होते हुए वैष्णों धाम पहुंचेगे। जहां पर देवी देवताओं के दर्शन कर यात्रा आगे निकलेगी रायसर की और। रायसर पेट्रोल पंप के पास पहुंचते ही भक्तों के लिए सेवादार खाने के साथ तैयार मिलेंगे। रायसर के बाद नौरंगदेसर यात्रियों को बड़ा केन्द्र है। जहां हर भक्त 2-4 घंटे तो आराम करेगा ही करेगा। कई यात्री तो टंटा टेर हो जाएंगे ओर 12 घंटे का फुल स्टांप होगा।
जिसके बाद यात्रा आगे बढ़ेगी कच्चे रास्ते में। कच्चे रास्ते में अब भक्तों को केवल सेवादारों के टैंट का ही अनुमान है। ये टैंट आया तो अब इतने आ गए और ये टेंट आया तो अब कन्हैयालाल जी की प्याऊ आने वाली है। ऐसा करते हुए धोरों के बीच सेल्फी लेते हुए भक्तों की यात्रा अनवरत जारी रहेगी। कन्हैयालालजी प्याऊ,रामरतन जी प्याऊ,कुडिया,खेजड़ी होते हुए यात्रा का अंतिम स्टॉप होग लालटेन टैंट का शिविर। जहां केवल लालटेन ही जलते हुए दिखाई देंगे। ना वहां पर लाइट है और ना ही मोबाइल चार्ज की व्यवस्था। जिसके बाद सीधे दिखेगा पुनरासर धाम। जहां पर भक्तों और बाबे का मिलन होगा। कुछ पल के दर्शन में ही भक्तों की थकान एकबारगी उतर जाएगी। बता दे कि चार दिनों तक चलने वाले मेले में मुख्यत बीकानेर शहर के लोग शामिल होते है।