रामलीला का मंचन,अहिरावण व रावण वध

राजस्थान 1st न्यूज,बीकानेर। नवरात्रि के पावन पर्व पर नगर सेठ लक्ष्मीनाथ जी मंदिर परिसर रामलीला मैदान में लगातार दसवीं रात्रि में अहिरावण व रावण वध का दृश्य दिखाया गया। संस्थान के अध्यक्ष गिरीराज जोशी ने बताया की लीला का शुभारंभ भगवान गणेश जी की वंदना से की कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सीओ सिटी श्रवणदास, समाजसेवी विजय नृहसिहम व्यास थे। संस्थान के सचिव अभिराम दत गौड़ ने बताया की लीला में अहिरावण व रावण का वध से पहले रावण व अहिरावण का संवाद
रावण अहिरावण को कहते हैं।
बेटा दो अधमी तपसी अपनी लंका पर कब्जा करना चाहते हैं और हमसे युद्ध करना चाहते हैं,हमने पहले खूब समझाया पर उनकी समझ में कुछ नहीं आया अंत में हमने भी युद्ध की ठान ली। इस प्रकार युद्ध करते-करते पुत्र अक्षय कुमार पुत्र मेघनाथ भाई कुंभकरण असंख्य सेना सहित मारे गए कमबख्त विभीषण भी उन तपस्वियों में जा मिला बेटा अब तू ही एक वीर बचे हो जो युद्ध में विजय पा सकते हो और हरी भरी लंका नगरी को बचा सकते हो और हरी भरी लंका नगरी को बचा सकते हो।
अहिरावण रावण को कहते हैं
अच्छा पुरखों ने सच ही कहा है कि जब गीदड़ की मौत आती है तो वह गांव की तरफ भागता है अब उसकी मौत काल बनकर उन्हें लंका नगरी तक ले आई है
जाता हूं मैं निशि में दोनों को हर कर लाउंगा
बलिदान मांगती है देवी उनको मैं भेंट चढ़ाऊंगा
पर चांदनी रात आती बाधक है पहले इसको ही हरना है माया से अपनी अंधकार उसे रामादल में करना है
हां याद आया विभीषण का रूप धार कर जाऊंगा तो अति उत्तम रहेगा कोई मुझे पहचान भी नहीं पाएगा और कम्बखतो को रातों रात उड़ा कर ले आऊंगा जय शंकर की
राम और रावण का युद्ध
रावण द्वारा अन्तिम सांस के समय
दो बातें केवल करनी है शुभ कार्य शीघ्र करना अच्छा
दुष्कर्म टले जिताना टालो उसका सदैव टलना अच्छा
मैनै सोचा था स्वर्ग तलक मैं क्षीर सिन्धु ले जाऊंगा
यह भी सोचा था स्वर्ग तलक थाने का मार्ग बनाऊंगा
पर आज आज करते करते मुझसे कर्तव्य यह गया वह
मन ही मन में रही कामना रह गई अपूर्व योजना वह
परिणाम उसी का यह पाया चल दिया अब हृदय ही की है
तुम समझे हो हम जीते हैं पर नहीं जीत मेरी ही है
अपने जीते जाने न दिया लंका में राय तुम्हारे को
जा रहा तुम्हारे आगे ही देखो मैं धाम तुम्हारे को
संस्थान के सदस्य केसरी चन्द भादाणी व रामचंद्र पंवार ने बताया की किरदार की भूमिका में गणेश,ललित राम,गिरीराज जोशी ललन,लक्ष्मण जितेश पुरोहित,सीता प्रशान्त आचार्य,सुग्रीव हर्षवर्धन व्यास, रावण कैलाश भादाणी, मन्दोदरी लक्ष्मण सोनी, विभीषण योगेश हर्ष, मेघनाथ मदन गोपाल आचार्य, सभासद भरत मारु, प्रकाश मारु, सक्षम गौड़, शिवराज जोशी हर्षवर्धन व्यास, द्रोण गौड़, हेमंत भादाणी, युवान, अंशु, वासुदेव, केशव
राक्षस सिद्धार्थ भादाणी, मनोज भादाणी, घनश्याम उपाध्याय, राजा कर्ण वीर अर्जुन भादाणी, बह्मदेव भादाणी, पवन सोलंकी आदि रहें।

Share This Article
Leave a Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!