साइबर ठगी में कारगर हो सकता है ओटीपी ट्रैक का नियम,1 दिसम्बर से हो गया है शुरू,पढ़ें खबर

राजस्थान 1st न्यूज,बीकानेर। फर्जी एसएमएस, फर्जी स्पैम कॉल्स और लगातार तेजी से बढ़ रहे साइबर फ्रॉड से निपटने के लिए केंद्र सरकार नए-नए कदम उठा रही है। इस बीच लोगों टेलिकॉम रेगुलेटरी अथारिटी ऑफ इंडिया ने लोगों को ठगी से बचाने के लिए एक नया नियम पेश किया है। ट्राई की तरफ से आज से पूरे देश में ट्रेसेबिलिटी का नया नियम लागू किया जा रहा है। जियो, एयरटेल, वोडाफोन आइडिया और बीएसएनएल को इसे लागू करने के निर्देश दिए हैं।

 

नए ट्रेसेबिलिटी नियम के लागू किए जाने के बाद मोबाइल यूजर्स को आने वाले ओटीपी मैसेज को आसानी से ट्रैक किया जा सकेगा। अगर साफ शब्दों में आपको समझाएं तो अब अगर किसी ओटीटी के जरिए आपके साथ फ्रॉड होता है तो टेलिकॉम कंपनियां उस ओटीपी मैसेज का सोर्स पता लगा सकेंगी। ट्राई की मानें तो इससे साइबर फ्रॉड पर रोक लगाने में बड़ी मदद मिल सकती है।

फर्जी मैसेज की होगी पहचान
नए नियम लागू होने के बाद मोबाइल यूजर्स को आने वाले स्पैम कॉल्स या फिर फर्जी मैसेज वाले नंबर की पहचान की जा सकेगी। ट्राई के इस नए नियम से देशभर के करोड़ों मोबाइल यूजर्स को बड़ी राहत मिलेगी। नए नियम से टेलिकॉम कंपनियों के रूट से मोबाइल में आने वाले सभी मैसेज को आसानी से ट्रैक किया जा सकेगा।

 

आपको बता दें कि ट्राई के नए नियम में बैंकिग मैसेज और प्रमोशनल टेलिमार्केटिंग मैसेज को अलग-अलग कैटेगरी में रखा जाएगा। कंपनियां फ्रॉड से संबंधित संदिग्ध प्रमोशनल मैसेज को लेकर यूजर्स को अलर्ट भी जारी कर सकती हैं जिससे यूजर्स पहले ही खतरे को भांप सकते हैं। ट्राई की तरफ से बताया गया कि ट्रेसेबिलिटी के नियम को लागू करने का मकसद सिर्फ मैसेजिंग की व्यवस्था को बेहतर बनाना है।

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