राजस्थान 1st न्यूज,बीकानेर। समय के साथ मेडिकल साइंस का ज्ञान सूक्ष्म और बेहतर होता चला जा रहा है। कुछ दशक पहले तक कैंसर के कुछ ही प्रकार पता थे, अब हर प्रकार के कैंसर की विशिष्टताओं पर मेडिकल साइंस न केवल शोध कर रही है, बल्कि इलाज के बेहतर तरीके विकसित कर रही है। दूसरी ओर मेडिकल एस्ट्रोलॉजी स्थूल होती जा रही है। शोध के अभाव में पेंक्रियाटिक कैंसर जैसी बीमारी के लिए भी ज्योतिषीय सलाह ले रहे जातक को ज्योतिषी से केवल यह सुनने को मिलता है कि पेट में तकलीफ है। यह बात पंडित राजेन्द्र व्यास “मामू” ने यहां भारतीयम बाल मंदिर में ज्योतिष शोध संस्थान की रविवारीय गोष्ठी के दौरान कही।
उन्होंने बताया कि कुछ शोध ऐसे होते हैं, जिन्हें बड़ा समूह मिलकर ही कर सकता है। उन्होंने हाल ही में उनके द्वारा कैंसर पर किए जा रहे अपने काम के बारे में बताते हुए कहा कि शरीर के प्रत्येक हिस्से में भिन्न प्रकार की कोशिकाएं हैं, और जितने प्रकार की कोशिकाएं हैं, उतने ही प्रकार के कैंसर होने की आशंका होती है। मोटे तौर पर भले ही कैंसर रोग गुरु ग्रह से जुड़ा हो, लेकिन इस पर विशद शोध की आवश्यकता है और यह कार्य बड़ी टीम मिलकर ही कर सकती है।
गोष्ठी के दौरान लघु पाराशरी ज्योतिष के विद्वान पंडित बलदेव जोशी ने नई पीढ़ी को ज्योतिषीय अनुभव से अवगत कराने के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने ज्योतिष कक्षा के लिए हर संभव योगदान देने के लिए आश्वस्त किया है। गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए महर्षि दयानन्द सरस्वती विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति दाऊनारायण पुरोहित ने बताया कि पूर्व में भी बीकानेर में इस प्रकार के सफल प्रयास हुए हैं। उन्होंने कहा कि देश विदेश में शिक्षण कार्य के दौरान वे विभिन्न ज्योतिषियों से मिलते रहे हैं, लेकिन बीकानेर में ज्योतिष का जो स्तर है, वह कहीं नहीं दिखा।
संस्थान सचिव श्रीराम बिस्सा ने बताया कि शुरूआती कक्षा में छात्रों को आगे के सत्रों में पढ़ाई जाने वाली आधार पुस्तक और नियमों की जानकारी दी गई। गोष्ठी के बाद चयनित जातकों की कुण्डलियों का विश्लेषण ज्योतिषी सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी ने किया। बिस्सा ने बताया कि भारतीय बाल मंदिर में प्रत्येक रविवार को शाम छह बजे से आठ बजे तक ज्योतिष कक्षा, गोष्ठी तथा चयनित जातकों की जन्म पत्रिका का निशुल्क विश्लेषण नियमित रूप से किया जाएगा।
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