राजस्थान 1st न्यूज,बीकानेर। आज पुरा देश राष्ट्रीय महिला दिवस मना रहा है। जिसके चलते अनेकानेक कार्यक्रमें आयोजित कर महिलाओं का सम्मान और प्रोत्साहित किया जा रहा है ताकि आने वाले समय में हमारे समाज में महिलाओं को उचित सम्मान मिले और देश के लिए कुछ अच्छा कर सकें। ऐसी ही बीकानेर की एक महिला है जिसने अपने जीवन में अनेक विपरीत परिस्थितियों में संघर्ष किया।
महिला सशक्तिकरण की जीवंत प्रतीक एडवोकेट सुनीता दीक्षित न केवल राजस्थान बल्कि पूरे देश की महिलाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं। उनका जीवन इस बात का प्रमाण है कि यदि इच्छाशक्ति मजबूत हो, तो किसी भी परिस्थिति को बदला जा सकता है।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
एडवोकेट सुनीता दीक्षित का जन्म जयपुर के गंगोरी बाजार में हुआ। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, गंगोरी बाजार से प्राप्त की। इसके पश्चात, उन्होंने कनोडिया कॉलेज, जयपुर से स्नातक की डिग्री प्राप्त की। स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के तुरंत बाद उनका विवाह हो गया, और वे गृहस्थ जीवन में पूरी तरह से समर्पित हो गईं।
15 वर्षों तक गृहिणी का जीवन, फिर एक नया संकल्प
सुनीता दीक्षित ने 15 वर्षों तक अपने परिवार को संवारने में अपना जीवन समर्पित किया। इस दौरान वे दो बच्चों की परवरिश और घरेलू कार्यों में व्यस्त रहीं। लेकिन उन्होंने हमेशा अपनी क्षमता और योग्यता पर विश्वास बनाए रखा। समाज में महिलाओं की स्थिति को बदलने और न्याय दिलाने की दिशा में कार्य करने की प्रेरणा उन्हें मिली, जिसके बाद उन्होंने एक साहसिक निर्णय लिया।
कानूनी शिक्षा और संघर्ष
परिवार की जिम्मेदारियों के बावजूद, उन्होंने अपने पति एडवोकेट विजय दीक्षित के साथ मिलकर कानून की पढ़ाई करने का संकल्प लिया। उन्होंने बीकानेर के रामपुरिया जैन लॉ कॉलेज से एलएलबी की पढ़ाई की और 300 छात्रों में टॉप 15 में स्थान प्राप्त किया। यह उनकी मेहनत और प्रतिबद्धता का प्रमाण था कि लंबे अंतराल के बावजूद वे शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर सकीं।
वकालत में अद्वितीय योगदान
एलएलबी की पढ़ाई पूरी करने के बाद, एडवोकेट सुनीता दीक्षित ने बीकानेर जिला एवं सत्र न्यायालय में वकालत प्रारंभ की। अपने अद्भुत तर्क कौशल और कानूनी ज्ञान के कारण वे शीघ्र ही बीकानेर की सम्मानित महिला अधिवक्ताओं में गिनी जाने लगीं।
वर्तमान में वे न केवल बीकानेर जिला एवं सत्र न्यायालय में कार्यरत हैं, बल्कि राजस्थान उच्च न्यायालय, जयपुर और जोधपुर में भी प्रभावशाली रूप से प्रैक्टिस कर रही हैं। वे विशेष रूप से एएसडी,पॉक्सो,एनडीपीएस,आपराधिक मामले,एनआई एक्ट और परिवार न्यायालय संबंधी मामलों में निपुण हैं। उनकी प्रतिभा केवल आपराधिक और पारिवारिक कानून तक ही सीमित नहीं है, बल्कि उन्होंने लाखों रुपये के वाणिज्यिक मामलों का सफल निपटारा भी किया है।
सम्मान और उपलब्धियां
एडवोकेट सुनीता दीक्षित की काबिलियत और कानूनी दक्षता को उच्च न्यायालय जोधपुर द्वारा भी सराहा गया है। उन्होंने कई रिपोर्टेबल जजमेंट प्राप्त किए हैं, जो न केवल उनकी कानूनी विशेषज्ञता को प्रमाणित करते हैं बल्कि अन्य अधिवक्ताओं के लिए भी मार्गदर्शक के रूप में कार्य करते हैं।
उनकी प्रतिष्ठा केवल बीकानेर तक ही सीमित नहीं है, बल्कि पूरे राजस्थान में वे एक सम्मानित अधिवक्ता के रूप में जानी जाती हैं। उनकी गहरी समझ, न्याय के प्रति समर्पण और कुशल तर्कशक्ति ने उन्हें एक विशिष्ट स्थान दिलाया है।
विशेष उपलब्धि
एडवोकेट सुनीता दीक्षित की सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धियों में से एक यह है कि उन्होंने अपने पति का 1998 से लंबित सेवा मामला, जिसे कई वरिष्ठ वकीलों ने वर्षों तक हैंडल किया, स्वयं एडवोकेट बनने के बाद अपने हाथों में लिया और अंतत: 2024 में केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण, जोधपुर में अपने पति के पक्ष में निर्णय करवाने में सफल रहीं। यह न केवल उनकी कानूनी दक्षता को दर्शाता है, बल्कि उनके आत्मविश्वास और न्याय के प्रति समर्पण को भी सिद्ध करता है।
महिलाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत
एडवोकेट सुनीता दीक्षित का जीवन हर उस महिला के लिए एक प्रेरणा है, जो अपने सपनों को पूरा करने की हिम्मत रखती हैं। उन्होंने यह सिद्ध कर दिया है कि विवाह और पारिवारिक जिम्मेदारियां कभी भी किसी स्त्री की उड़ान को रोक नहीं सकतीं। समर्पण, संघर्ष और आत्मविश्वास के बल पर हर चुनौती को पार किया जा सकता है।
महिला दिवस के अवसर पर, हम एडवोकेट सुनीता दीक्षित को नमन करते हैं और यह उम्मीद करते हैं कि उनका जीवन और उपलब्धियां समाज की अन्य महिलाओं को भी आगे बढऩे और न्याय के क्षेत्र में अपना स्थान बनाने के लिए प्रेरित करेंगी।
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