संजय स्वामी
राजस्थान 1st न्यूज,बीकानेर। नेता तो आखिर नेता है किसी के समझ में आ जाए तो फिर वो नेता भी कैसा। ऐसे दृश्य इन दिनों राजस्थान की राजधानी में आम है। वैसे तो नेता कहीं भी नेतागिरी ना हो तो फिर नेता कैसा लेकिन इन दिनों राजधानी में नेताओं के चर्चे है। फिर चाहे वो सता पक्ष के हो या फिर विपक्ष के। कोई किसी से कम नजर नहीं आता है।
बजट सत्र में कुछ मिला या नहीं मिला इस पर चर्चा तो दूर-दूर तक नजर नहीं आती है लेकिन नजर आता है तो विधानसभा के अंदर और बाहर पनप रहा विरोध। राजस्थान विधानसभा में बीते चार दिनों से यह दृश्य आम है। आमदिनों में जिस विधानसभा में दिन में हलचल तेज रहती है। उस विधानसभा में इन दिनों रात भी गुलजार है। क्योंकि चार दिनों से कांग्रेसी विधायक विधानसभा में धरने पर बैठे है। मामला पहले माफी मांगने का है।
मामला इतना बड़ा तो नहीं था लेकिन नेताओं के किस्से ना हो तो फिर मामला हीं क्या होता है। प्रदेश सरकार के मंत्री ने पूर्व पीएम इंदिरा गांधी को लेकर बयान दिया और बवाल हो गया। कांग्रेस ने इसे अपनी अस्मिता पर चोट समझी और कांग्रेसी विधायक ने जमकर विरोध किया। विरोध इतना बढ़ा कि कांग्रेसी विधायक स्पीकर तक पहुंच गए। स्पीकर भी आग बबूला हुए तो तुरंत प्रभाव से पीसीसी चीफ सहित 6 विधायकों को बजट सत्र के लिए निलंबित कर दिया।
फिर क्या था मौका मिल ही गया विरोध का तो फिर पीछे क्यों रहना। कांग्रेसी विधायकों ने निलंबन का विरोध किया और मंत्री द्वारा दिए गए बयान पर माफी मांगने को लेकर विरोध शुरू हुआ। विरोध करते विधायक विधानसभा में धरने पर बैठ गए। शुक्रवार को शुरू हुआ विवाद इतना बढ़ा कि सोमवार को विधानसभा घेराव के लिए कांग्रेसी एकतरफ राजधानी पहुंच गए। दूसरी तरफ सता पक्ष ने भी सुलह के प्रयास शुरू किए। नेताओं को मनाने के लिए दौड़ शुरू हुई तो कांग्रेसी विधायकों ने जैसे-तैसे सुलह के लिए हामी दी और कुछ शर्तो पर राजीनामे की बात आगे बढ़ी।
विधानसभा में माफी मंागने के लिए निलंबित विधायकों और मंत्री को बोलने का समय दिया गया। पीसीसी चीफ ने इस पर भी एक नई चालक खेल दी। चीफ ने कहा कि जिस तरफ से शुरूआत हुई थी पहले माफी भी उसी तरफ से मांगी जानी चाहिए हालांकि पीसीसी चीफ ने पुरी घटना के लिए खेद तो प्रकट कर दिया लेकिन बात वहीं की वहीं थी कि पहले माफी कौन मांगे।
पीसीसी चीफ ने कहा कि पहले मंत्री माफी मांगे ले तो में दस बार माफी मांग लूगा इसमें शर्म कैसी है लेकिन बात फिर भी नहंी बनी और विधानसभा में बंद कमरे में हुए वादे याद दिलाए जाने लगे। एक-दूसरे पर फिर से वादा खिलाफी के आरोप लगाए गए लेकिन कहानी जहां से शुरू हुई थी वहीं आकर फिर से सुई रूक गयी कि विरोध फिर भी कायम रहा। जिसके बाद भी विरोध कम होने का नाम नहीं ले रहा है।
मंगलवार को अध्यक्ष कुर्सी पर रो पड़े और डोटासरा विधायक बनने के लायक नहीं है यहां तक कह दिया। दूसरी तरफ से भी फिर पलटवार हुए लेकिन बजट को लेकर इंतजार कर रही जनता के सामने केवल विरोध ही दिखा। बुधवार को डोटासरा ने फिर से कहा कि विधानसभा अध्यक्ष को अगर चोट पहुंची तो में उनके माफी मांग लूगा कोई समस्या नहंी है लेकिन इससे बात खत्म होने वाली नहीं है क्योंकि पूर्व पीएम इंदिरा गांधी पर बयान देने वाले मंत्री जी को माफी मांगनी ही पड़ेगी।
मामला इतना बढ़ा की एक तरफ सता पक्ष के कई मंत्री इसमें कूद गए तो दूसरी तरफ कांग्रेस के दिग्गज नेताओं ने भी सतापक्ष पर आरोपों की बौछार कर दी। करीब 6 दिनों के विवाद के बाद भी कोई झुकने को तैयार नहीं है। ऐसे में विरोध कैसे खत्म होगा और जनता के लिए सदन कब चलेगा ये अभी भी संशय में है। अब फिर से नए दिन में नई कोशिशें और कहानी शुरू होगी।
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