राजस्थान सहित देश के इन मंदिरों में ग्रहण के दौरान भी होते हैं भगवान के दर्शन

राजस्थान 1st न्यूज,बीकानेर। मान्यताओं के मुताबिक सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण के दौरान कुछ भी काम करना बेहद अशुभ माना जाता है साथ ही ग्रहण के दौरान पूजा-पाठ या मंदिरों में भी न जाने की सलाह दी जाती है। हिंदू धर्म में सूर्य ग्रहण को बड़ा दोष माना जाता है, जिसके कारण सूर्य ग्रहण लगने से 12 घंटे पहले ही सूतक लग जाता है। इस दौरान किसी भी देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना नहीं की जाती है लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी भारत में कुछ ऐसे भी मंदिर है, जहां ग्रहण के दौरान भगवान की पूजा होती है। इन मंदिरों में भक्तगण ग्रहण के दौरान भी भगवान के दर्शन करने आते हैं। जानते हैं इन मंदिरों के बारे में जहां ग्रहण के दौरान भी भगवान अपने भक्तों को दर्शन देते हैं.

कालकाजी मंदिर
सूर्य ग्रहण के दौरान जहां भारत की राजधानी दिल्ली के सभी मंदिर बंद होते हैं, तो वहीं कालका जी का मंदिर सूर्य ग्रहण के दौरान भी भक्तों के लिए खुला रहता है। मंदिर को लेकर पौराणिक कहानी भी है, जिसके मुताबिक पांडवों को महाभारत युद्ध जीतने का आशीर्वाद मिला था। हिंदू मान्यता के मुताबिक माता कालका कालचक्र की स्वामिनी कही जाती है और सभी ग्रह, नक्षत्र इन्हीं के नियंत्रण में होते हैं। ऐसे में सूर्य या चंद्र ग्रहण के दौरान माता के पावन धाम पर किसी भी तरह का असर नहीं पड़ता है।

कल्पेश्वर तीर्थ
सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण के दौरान जहां उत्तराखंड के प्रसिद्ध मंदिर केदारनाथ और बद्रीनाथ जैसे मंदिरों में सूतक काल से ही पूजा-पाठ बंद हो जाती है, वहीं उत्तराखंड के चमोली जिले में बना कल्पेश्वर मंदिर इकलौता ऐसा मंदिर है, जो ग्रहण के दौरान भी भक्तों के लिए खुला रहता है। मंदिर को लेकर पौराणिक कथा कहती है, कि कल्पेश्वर मंदिर वही पावन स्थान हैं जहां भगवान शिव ने अपनी जटाओं से मां गंगा के रौद्र वेग को कम किया था और इसी स्थान पर देवताओं ने समुद्र मंथन के दौरान बैठक की थी। इस मंदिर में सूर्य ग्रहण का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। मंदिर के कपाट ग्रहण के दौरान भी खुले रहते हैं।

महाकालेश्वर मंदिर
सूर्य ग्रहण के दौरान मध्य प्रदेश के सभी मंदिरों को भक्तों के लिए बंद कर दिया जाता है, लेकिन उज्जैन के महाकाल को लेकर माना जाता है कि उन पर किसी भी ग्रहण का कोई प्रभाव नहीं पड़ता। ग्रहण वाले दिन भी महाकाल की भस्म आरती और पूजा-पाठ होती है हालांकि ग्रहण के दौरान शिवलिंग को छूने की मनाही होती है। भक्तगण केवल दर्शन कर सकते हैं।

कालहस्ती मंदिर
आंध्र प्रदेश में बना कालहस्ती मंदिर, जो भगवान शिव को समर्पित है। इस मंदिर में सूर्य ग्रहण के दौरान भी पूजा अर्चना होती है। इस मंदिर में राहु और केतु की पूजा के साथ कालसर्प की पूजा की जाती है। जिन भी लोगों की ज्योतिष में किसी भी तरह का कोई दोष होता है, वो ग्रहण के दौरान इस मंदिर में राहु-केतु की पूजा के साथ भगवान शिव और देवी ज्ञानप्रसूनअंबा की पूजा करते हैं, जिससे ग्रह दोषों से मुक्ति मिलती है।

श्रीनाथजी मंदिर
राजस्थान का श्रीनाथजी का मंदिर इकलौता ऐसा मंदिर है, जो सूर्य ग्रहण के दौरान भी खुला रहता है। मंदिर के पुजारी बताते हैं कि सूर्य ग्रहण के दौरान श्रीनाथजी मंदिर नाथद्वारा में दर्शन होते हैं। ग्रहण काल में सभी नियमों का पालन किया जाता है। ग्रहण काल में श्रद्धालुओं के लिए दर्शन खुले रहते हैं और दुसरी सेवाएं बंद कर दी जाती हैं। इसके पीछे की मान्यता है कि प्रभु श्रीनाथजी को निकुंज नायक का प्रतीक माना जाता है। जिस तरह श्रीनाथजी ने गिरिराज पर्वत को उठाकर ब्रजवासियों को इंद्र के प्रकोप से बचाया था, ठीक उसी तरह उनके मंदिर में दर्शन करने आए भक्तों की वह ग्रह से रक्षा करते हैं।

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