संकल्प मजबूत हो तो सब संभव है
राजस्थान 1st न्यूज,बीकानेर। बीकानेर की ऐसी नारी शक्ति जिसने छोटी सी उम्र में भी संघर्ष किया और आज उसी सघंर्ष की बदौलत वो सफलता की नई कहानियां लिख रही है। ऐसी सख्सियत है आरएएस रचना विश्नोई। रचना विश्नोई बताती है कि जब एक महिला अपने सपनों को संजोती है, तो कोई भी बाधा उसे आगे बढऩे से नहीं रोक सकती। मेरी कहानी भी कुछ ऐसी ही है—संघर्षों से भरी, लेकिन आत्मविश्वास और दृढ़ संकल्प से ओतप्रोत।
बहुत कम उम्र में मेरी शादी हो गई, और इसी के साथ मेरी पढ़ाई पर एक लंबा विराम लग गया। जीवन की जिम्मेदारियाँ जल्दी ही मेरे कंधों पर आ गईं, और आगे बढऩे के रास्ते सीमित होते चले गए। लेकिन नियति को शायद कुछ और ही मंजूर था। जब मेरे पति देश की सेवा में शहीद हुए, तो मेरी दुनिया पूरी तरह बदल गई। एक तरफ व्यक्तिगत पीड़ा थी, तो दूसरी तरफ अपने दो बच्चों का भविष्य संवारने की चुनौती।
अनुकंपा नियुक्ति के तहत नौकरी मिलना मेरे लिए एक सहारा था, लेकिन मैंने तय किया कि मैं सिर्फ परिस्थितियों की मोहताज नहीं रहूंगी। मैंने खुद को शिक्षा की ओर मोड़ा, पढ़ाई को फिर से अपनाया। यह आसान नहीं था—सात साल का शैक्षिक अंतर, गृहस्थी की जिम्मेदारियाँ, और समाज की मानसिकता—हर कदम पर चुनौतियाँ थीं। लेकिन मुझे खुद को साबित करना था, अपने बच्चों के लिए, अपने आत्मसम्मान के लिए।
मेरे पति ने देश के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया था, लेकिन उनके सम्मान को सजीव रखना मेरा कर्तव्य था। मैंने उनकी स्मृति को अमर बनाने के लिए संघर्ष किया चाहे वह उनके नाम पर स्कूल का नामकरण हो, या फिर उनके सम्मान में उनकी प्रतिमा स्थापित कराना। इसके लिए मैंने प्रशासनिक अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों और शिक्षा विभाग के उच्चाधिकारियों से मिलकर अपनी माँग रखी, धरना-प्रदर्शन किए और आवाज़ को बुलंद किया। मेरा उद्देश्य सिर्फ अपने पति को सम्मान दिलाने के साथ समाज में एक संदेश देना था कि शहीदों के परिवारों को सिर्फ संवेदना नहीं, बल्कि वास्तविक सम्मान मिलना चाहिए।
इन संघर्षों के बीच मैंने अपनी पढ़ाई को रुकने नहीं दिया और कड़ी मेहनत के दम पर सफलता की ओर कदम बढ़ाए। इतिहास विषय में पोस्ट ग्रेजुएशन और बीएड कर और प्रशासनिक सेवाओं की तैयारी में जुट गई। इस दौरान मेरा चयन राजस्थान सरकार में सैकंड ग्रेड टीचर के रूप में हुआ, लेकिन में यही नहीं रुकी। मैंने अपनी पढ़ाई और मेहनत जारी रखी और प्रशासनिक सेवाओं की परीक्षा पास कर राजस्थान अकाउंट्स सर्विस में चयनित हुई।
यह मेरे लिए केवल एक उपलब्धि नहीं थी, बल्कि यह इस बात का प्रमाण था कि अगर संकल्प मजबूत हो, तो कोई भी बाधा आपके रास्ते को रोक नहीं सकती। मेरा सपना सिर्फ खुद की प्रगति तक सीमित नहीं था, बल्कि समाज में एक सकारात्मक बदलाव लाने का था।
आज, जब मैं पीछे मुड़कर देखती हूँ, तो महसूस करती हूँ कि हर संघर्ष ने मुझे और मजबूत बनाया। मेरा सफर सिर्फ मेरी नहीं, बल्कि उन सभी महिलाओं की प्रेरणा बन सकता है, जो कठिनाइयों के कारण अपने सपनों को अधूरा छोड़ देती हैं। मैं चाहती हूँ कि हर महिला यह समझे कि परिस्थितियाँ कितनी भी विपरीत क्यों न हों, अगर संकल्प मजबूत हो, तो सफलता निश्चित है।
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के इस अवसर पर, मैं हर उस महिला से कहना चाहती हूँ जो खुद को सीमाओं में बंधा हुआ महसूस करती हैं—खुद पर विश्वास रखें, अपने सपनों को जीवित रखें, और कभी हार न मानें। संघर्षों के बाद जो सफलता मिलती है, उसकी चमक सबसे अलग होती है।
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