राजस्थान 1st न्यूज,बीकानेर। जी हां ये बीकानेर है। मतलब आनंद और अपनी मस्ती में सराबोर रहने वाला शहर। फिर चाहे होली या फिर सावण। मेले हो या फिर तीज त्यौंहार। कहते है बीकानेर की मस्ती में जो एक बार लीन हो गया फिर उसे बीकानेर के अलावा दूसरी जगह रास नहीं आती है। ऐसे हजारों उदाहरण भी मिल जाएंगे। सैकड़ों ऐसे अधिकारी मिल जाएंगे जो यहां आए तो सरकारी सेवा देने थे लेकिन अलबेले शहर बीकानेर के होकर ही रह गए। मेलों का दौर चल रहा है। ऐसे में हर कोई अपनी भक्ति और मस्ती में लीन है।
बीकानेर से पुनरासर जाने वालों का पहला जत्था रवाना हो चुका है और भक्त लगातार बाबे के जयकारे के साथ रवाना हो रहे हैं। इसी बीच सेवादारों के जत्थे बाबे के भक्तों की व्यवस्था में लगे है। ऐसे अनेक सेवा शिविर है। जहां पर पहुंचने वाला जैसे ही सेवा शिविर का नाम देखता है तो उसके चेहरे पर एक बार हंसी अपने आप आ जाती है और थकान दूर हो जाती है। जिनमें देखा देख मंडल, हाथों हाथ मंडल, एकाएक मंडल, फुर्तीला मंडल, महाआलसी मंडल, नाग मंडल, टेर मंडल, सूना मंडल, भचीड़ उपाड़ मंडल, झला पट्टा मंडल, बंद मुठी सेवा, उठक-बैठक मंडल, लाल फौज, उठता बैठता, कमांडो, संत मंडल, आयला-भायला संघ, हड़ाट फोर्स, मटर संघ, जय झपट मण्डल, झमरू मण्डल, गोटा मण्डल, आळसी मंडल, भायला मंडल, ना थ्हारी है ना म्हारी, चौकी संघ, दोस्ती मंडल, तनसुख, प्रेम मंडल, भैंरूजी म्हारो भायलो सहित कुछ नाम लीक से हटकर है। जो इन सेवा मंडलों की विशिष्ट पहचान बनी है।
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