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गणगौर पूजन: बालिकाओं ने बनाई जगन्नाथ पुरी और बद्रीनाथ जी की रंगोली

राजस्थान 1st न्यूज,बीकानेर। गणगौर पूजन का त्यौंहार जारी है। बालिकाएं हर रोज सुबह उठ कर देवी मैया गवरजा को खुश रखने और अपनी मनोकामना के लिए विधि विधान से पूजा अर्चना कर रही है। शहर के गली मोहल्लों और चौक में गणगौर पूजन के कार्यक्रम बड़े जोश और उत्साह के साथ संपन्न किए जा रहे है। इसी कड़ी में जस्सुसर गेट के अंदर स्वामियों के मोहल्ले में रहने वाली बालिकाएं बीते करीब 12 सालों से हर वर्ष नई-नई रंगोलियों के जरिये देवी माँ को प्रसन्न कर रही है।

इस सम्बंध में चांदनी स्वामी ने बताया कि हमारे गु्रप की आदिती स्वामी,रेणु रंगा,तनु रंगा,खुशी रंगा,निशा स्वामी,अन्यया स्वामी द्वारा बीते 12 सालों से हर वर्ष देवी माँ की पूजा की जाती है। जिसके चलते इस वर्ष भी हर रोज अलग-अलग रंगोली बनाई जा रही है। चांदनी स्वामी ने बताया कि हमने जगन्नाथ पुरी और बाबा बद्रीनाथ जी की रंगोली बनाई जो कि लोगों को काफी पसंद भी आ रही है। आने वाले दिनों में चार धाम से जुड़ी अन्य रंगोलियां भी हमारे द्वारा बनाई जाएगी।

बता दे कि गणगौर पर्व जो चैत्र महीने की शुक्ल पक्ष की तृतीया (तीज) को आता है। इस दिन कुँवारी लड़कियाँ एवं विवाहित महिलाएँ शिवजी (इसर जी) और पार्वती जी (गौरी) की पूजा करती हैं। पूजा करते हुए दूब से पानी के छींटे देते हुए “गोर गोर गोमती” गीत गाती हैं। इस दिन पूजन के समय रेणुका की गौर बनाकर उस पर महावर, सिन्दूर और चूड़ी चढ़ाने का विशेष प्रावधान है। चन्दन, अक्षत, धूपबत्ती, दीप, नैवेद्य से पूजन करके भोग लगाया जाता है।गण (शिव) तथा गौर (पार्वती) के इस पर्व में कुँवारी लड़कियाँ मनपसन्द वर पाने की कामना करती हैं।

 

विवाहित महिलायें चैत्र शुक्ल तृतीया को गणगौर पूजन तथा व्रत कर अपने पति की दीर्घायु की कामना करती हैं। होलिका दहन के दूसरे दिन चैत्र कृष्ण प्रतिपदा से चैत्र शुक्ल तृतीया तक, 1तक चलने वाला त्योहार है -गणगौर। यह माना जाता है कि माता गवरजा होली के दूसरे दिन अपने पीहर आती हैं तथा अठारह दिनों के बाद ईसर (भगवान शिव ) उन्हें फिर लेने के लिए आते हैं ,चैत्र शुक्ल तृतीया को उनकी विदाई होती है।