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मुरलीधर में आवंटित हुआ प्लॉट नहीं मिला 30 साल तक,अब यूआईटी को देना पड़ेगा प्लॉट के साथ हर्जाना भी





राजस्था 1st न्यूज,बीकानेर। करीब 30 वर्षो के संघर्ष के बाद अब व्यक्ति को अपना हक मिलने का आदेश जारी हुआ है। यह आदेश उपभोक्ता न्यायालय ने यूआईटी सचिव को दिए है। करीब 30 वर्षो तक परिवादी जमीन के लिए चक्कर निकालता रहा लेकिन उसे कभी कब्जा नहंी दिया गया। जिसके बाद परिवादी ने उपभोक्ता न्यायालय की शरण ली। परिवादी रमेश कुमार व्यास निवासी जवाहर नगर की और से अशोक व्यास ने पैरवी की।

 

परिवादी की और से अधिवक्ता ने 12 जनवरी 2023 को उपभोक्ता न्यायालय में परिवाद दिया। जिसमें बताया गया कि 25 फरवरी 1993 को मुरलीधर व्यास विस्तार योजना में उसके भूखंड संख्या 4 सी 133 साईज 1920 वर्गफुट का आवंटन किया गया। जिसके बाद परिवादी ने धरोहर राशि के रूप में 4500, तथा आंवटन के बाद मंाग पत्र पर 38293 रूपए जमा करवा दिए। प्रार्थी ने बताया कि इसके बाद वर्ष 2007 आते-आते यूआईटी की और से उसे आंवटित जमीन की जगह पर भूखंड संख्या 4 सी 39 साईज 1920 आंवटित कर दिया। परंतु इस प्लॉट का भी परिवादी को कब्जा नहीं दिलवाया गया।

परिवादी के अनुसार प्लॉट के कब्जे के लिए वो लगातार पत्र,ईमेल करता रहा लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। जिसके बाद यूआईटी बीकानेर ने उपभोक्ता न्यायालय में अपना जवाब पेश करते हुए कहा कि प्रार्थी को वैकल्पिक भूखंड दिया गया लेकिन परिवादी कभी कब्जा लेने आया ही नहीं। यूआईटी ने कहा कि 2007 में परिवादी को वैकल्पित भूखंड प्राप्त हो गया और अब 2023 में परिवाद पेश किया। यूआईटी ने लिखा कि परिवाद मियाद के बाहर है। जबकि 2007 में भूखंड दे दिया गया है।

जिस पर न्यायालय ने दोनो पक्षों की और से पेश किए तमात दस्तावेजों,सबूतों का गहन जांच की। जिसके बाद उपभोक्ता न्यायालय ने यूआईटी को आदेश दिया कि परिवादी को वैकल्पिक भूखंड प्रार्थी को दिया जावे साथ ही अगर किसी कारणवश वह भूखंड नहंी दिया जा सकता है तो उसी सेक्टर में वैकल्पिक भूखंड के समकक्ष जमीन को आवंटित कर कब्जा दिलवाया जावे। न्यायालय ने आदेश दिया है कि परिवादी को शारीरिक व मानसिक वेदना के 50 हजार,परिवाद व्यय 10 हजार आदेश की दो माह की अवधि में दिलवाया जावे। यह आदेश 12 नवम्बर को अध्यक्ष नरङ्क्षसह दास व्यास व सदस्य पुखराज जोशी ने दिए है।

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