राजस्थान 1st न्यूज,बीकानेर। क्या आपके साथ कभी ऐसा हुआ है? सोते समय अचानक लगे कि सांस नहीं आ रही है और नींद टूट जाए। ऐसा स्लीप एप्निया के कारण होता है। यह एक स्लीपिंग डिसऑर्डर है। इसके कारण हमारे फेफड़ों और दिमाग तक पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाती है। दम घुटने लगता है। ऐसी स्थिति में दिमाग हमें किसी तरह जगाने की कोशिश करता है, जिसके कारण नींद टूट जाती है।
माइल्ड स्लीप एप्निया में रात भर में 50 से 100 बार नींद खुलती है। यह समस्या जितनी बढ़ती जाती है, रात में नींद टूटने की फ्रीक्वेंसी भी बढ़ती जाती है। समस्या सीवियर होने पर एक रात में 250 से ज्यादा बार नींद खुलती है। इसके चलते नींद नहीं पूरी हो पाती और दिन भर थकान बनी रहती है।
रात में बार-बार सांस रुकने के कारण ब्लड में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है। इससे शरीर के सभी महत्वपूर्ण अंग प्रभावित होते हैं। ब्रेन में ऑक्सीजन की कमी से ब्रेन फंक्शनिंग, मेमोरी और फोकस कमजोर होने लगता है। सेक्शुअल डिस्फंक्शन होने लगता है। कई बार तो हार्ट अटैक और स्ट्रोक जैसी जानलेवा कंडीशन भी बन सकती है।
एक स्टडी के मुताबिक, भारत के 10.4 करोड़ युवा स्लीप एप्निया का सामना कर रहे हैं। इसका मतलब है कि लगभग 13 प्रतिशत भारतीय युवाओं को स्लीप एप्निया है। ऐसे में चिकित्सक की सलाह लेकर तुरंत प्रभाव से इससे छुटकारा पाएं।
