HTML tutorial

125 वर्ष प्राचीन गणगौर,आस्था और परंपरा का अनूठा संगम




राजस्थान 1st न्यूज,बीकानेर। राजस्थान का बीकानेर शहर अपनी समृद्ध संस्कृति और परंपराओं के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध है और यहाँ मनाया जाने वाला गणगौर त्योहार इसकी एक अनूठी पहचान है। शहर के धर्म नगर द्वार के भीतर 125 साल पुरानी शंकर माली की गणगौर (गवरजा) विराजित है, जो न केवल ऐतिहासिक महत्व रखती है, बल्कि भक्तों के लिए आस्था का केंद्र भी बनी हुई है।

125 साल पुरानी परंपरा का गवाह

शंकर माली के पुत्र मनोज कुमार पंवार बताते हैं कि यह माँ गवरजा उनकी दादी के हाथों से 125 वर्ष पहले बनाई गई थी। तब से लेकर आज तक उनके परिवार के वंशज माँ गणगौर की पूजा-अर्चना करते आ रहे हैं। यह परंपरा पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है और हर साल गणगौर के अवसर पर यहाँ भक्तों का ताँता लगता है। माँ गवरजा का स्वरूप अत्यंत सुंदर और मनमोहक है, जो हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करता है।

 

मनोकामनाओं को पूरा करने वाली माँ गवरजा
मनोज कुमार पंवार के अनुसार, माँ गवरजा से सच्चे मन से माँगी गई हर मनोकामना अगले गणगौर से पहले अवश्य पूरी होती है। यह आस्था यहाँ आने वाले श्रद्धालुओं के लिए विशेष महत्व रखती है। गणगौर के दौरान माँ के दर्शन के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं और अपनी प्रार्थनाएँ माँ के चरणों में अर्पित करते हैं।
बीकानेर की सांस्कृतिक धरोहर
गणगौर का यह पर्व बीकानेर में धूमधाम से मनाया जाता है, और शंकर जी माली की गणगौर इस उत्सव का एक अभिन्न हिस्सा है। 125 साल से भी अधिक समय से चली आ रही यह परंपरा न केवल धार्मिक, बल्कि सांस्कृतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। माँ गवरजा का यह प्राचीन स्वरूप बीकानेर की समृद्ध विरासत को दर्शाता है।

श्रद्धा और उत्सव का माहौल
हर साल गणगौर के अवसर पर यहाँ विशेष पूजा-अर्चना और आयोजन होते हैं। माँ गवरजा के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है, और पूरा क्षेत्र उत्सव के रंग में डूब जाता है। यहाँ की गणगौर न केवल स्थानीय लोगों के लिए, बल्कि बीकानेर की पहचान को विश्व पटल पर उजागर करने में भी अहम भूमिका निभाती है। शंकर माली की यह गणगौर बीकानेर के गणगौर त्योहार को और भी खास बनाती है। यहाँ की आस्था, परंपरा और सुंदरता आने वाले समय में भी लोगों को प्रेरित करती रहेगी।

Join WhatsApp Group Join Now

More Reading

Post navigation

Leave a Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!